





स्वर्ण मंदिर और जलियांवाला बाग की यात्रा करें या कूपर रोड, मोची या गुरु बाजारों और शास्त्री मार्केट में खरीदारी करते हुए दिन बिताएँ।
यह खूबसूरत सिख मंदिर सोने से ढंका है और एक शांत सरोवर से घिरा है। यह मंदिर अनंत आजादी और आध्यात्मिक स्वतंत्रता का प्रतीक है और सभी धर्मों और पृष्ठभूमियों के लोगों के लिए खुला है।
एक स्थान जहाँ ब्रिटिश फौज ने अनगिनत शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने वालों को मार डाला था, यह महत्वपूर्ण स्मारक भारत के आजादी के आंदोलन के सबसे उल्लेखनीय स्थलों में से एक है। सार्वजनिक उद्यान में एक स्मारक प्रतिमा है, जहाँ शृद्धांजलि अर्पित करने के लिए कई लोग आते हैं।
अमृतसर के सबसे पवित्र हिंदू मंदिरों में से एक, दुर्गियाना का निर्माण सिखों के प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर के समान शैली में किया गया था। इसे इसके चांदी के द्वारों के कारण कभी-कभी रजत मंदिर कहा जाता है।
पाकिस्तान के साथ भारत की सीमा पर, झंडों को चढ़ाने और उतारने का दैनिक अनुष्ठान एक शानदार समारोह है जिसे देखने के लिए दोनों देशों के असंख्य दर्शक आते हैं।
यह स्थल रामायण और ऋषि वाल्मीकि के आश्रम के प्राचीन इतिहास से जुड़ा हुआ है। विशेषताओं में एक प्राचीन तालाब, अनेक मंदिर और झोपड़ी जैसे महत्वपूर्ण स्थल शामिल हैं जहाँ माता सीता ने लव और कुश को जन्म दिया था।
यहाँ स्थित मेमोरियल और म्यूज़ियम पंजाब के बहादुर सैनिकों को समर्पित हैं। यहाँ की सबसे बड़ी विशेषता है स्टेनलेस स्टील की चमचमाती, 45 मीटर लंबी तलवार जो लोगों की ताकत और हिम्मत का प्रतीक है। म्यूज़ियम में पंजाब के सैन्य इतिहास को डिस्कवर कीजिए।
दिन भर मौज-मस्ती के लिए अमृतसर शहर के केंद्र के करीब इस 18वीं सदी के किले की यात्रा करें। इस किले में अब एक म्यूजियम, जो इसके प्रसिद्ध अतीत की याद दिलाता है, स्थानीय कारीगरों के बनाए सामान बेचने वाला एक बाज़ार, लाइव प्रदर्शनों के लिए एक मंच, और हर शाम होने वाला एक लेसर लाइट शो स्थित हैं।
अमृतसर के ऐतिहासिक टाउन हॉल में स्थित, यह म्यूजियम भारत और पाकिस्तान के उथल-पुथल भरे बँटवारे का स्मारक है। इस ऐतिहासिक घटना के प्रत्यक्ष बयानों को सुनते हुए शरणार्थियों के पुरावशेषों के साथ-साथ तस्वीरें, फिल्में, और उत्तरजीवियों की कला भी देखें।